बुधवार, 8 नवंबर 2017

गु़फ्तगू - एक झलक

खौफ़ कर खुदा से, समझ ले इस दुनिया की रिव़ायत |
ग़र चाहता है तू और जीना, तो रख खुद को सलामत़ |
शैतान क्यों बना फ़िर रहा है, इस दुनिया में आकर,
यूं ही नहीं गिरती है, किसी के ऊपर क़यामत |

अचरज मत हो मेरी बातों से, मैं तेरा अपना ही हूँ
ग़ैरो की बातों में आकर, मत फैला इतनी द़हशत |
क्या बिगाड़ा है किसी ने तेरा, ज़रा बता दे वजह
क्यों ज़ुर्म का हाथ पकड़ के, कर रहा है ऐसी हरक़त |

मेरी नज़र से नज़र मिला ले, मुझको गला लगा ले
बख्श दे अब लोगों को, क्यों है तूझे इनसे नफ़रत |
अल्फाज़ पे ध्यान मत दे, भावनाओं को समझ
ग़र न रही इज़्ज़त-आबरू, तो कैसे होगी इनकी बरक़त |

मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

मेरी बेबसी

अनजान हैं, अजनबी हैं, पर होश में करते हैं
जिंदगी को मौत बना दिए, फिर भी नासमझ बने हैं |
खुशी के दिन को ग़म में भरकर
मेरी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं |

ग़म मिटाते हैं, धुएँ उड़ाते हैं, सबको रुला रहे हैं
कुछ नाचीज़, तहज़ीब खो कर,  तकल्लुफ़ निभा रहे हैं |
सलामत हो कर भी तकलीफ में हैं
और हमें रुक - रुक कर चलना बता रहे हैं |

जिंदगी की कीमत समझो, खुद को जगह पर लाओ
क्यों किसी का दर्द नहीं समझ रहे, हमें भी बताओ |
फूलों के गुलदस्ते पर काँटे मत भरो
ये नाज़ुक है दामन, इनसे गाँठ मत छुड़ाओ |

खुद के मतलब के लिए, पूरे श़हर को मत रूलाओ
प्रदूषित हो चुका शहर है, और गंदगी मत फैलाओ |
इसकी खूबसूरती से तुम्हें क्या है दुश्मनी
ज़ख़्मी हो चुके शहर के ऊपर, ज़रा मरहम तो लगाओ |

शनिवार, 12 अगस्त 2017

भींगा-भींगा मौसम

चंद महीनों का ये मौसम
खिल खिला देता है उपवन |
पवन जब चलती है जोश में
तो संग इसके लग जाता है मन |

तितलियाँ, जुगनू को देख
जैसे खुश हो जाते हैं हम |
अगर ये आ जाये हाथ में
तो जाने नहीं देते हैं हम |

बारिशों के इस मौसम में
जब भींग जाते हैं हमारे तन |
चंचल मन को शांत करने
निकल पड़ते हैं हम भी उपवन |

बाग गुलजार हो जाते हैं
फूलों में छा जाते हैं गुलशन |
साये भी दिखने लग जाते हैं
जो रहते हैं नजरबंद |

तन भी भींगा, मन भी भींगा,
फिर भी चमक रहा है दर्पण |
जब दस्तक दे दिया है खुशी ने
तो क्यों दुखी हो रहा है मन |

अगले कुछ महीनों हमारा है
जीत लो सारे दिलों को |
संग चल रहे हैं सारे जहाँ
क्या पता, कल हो न हो |

शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

छुपी हुई प्रतिभा

एक अजब-सी अदब है
एक अजब-सा करिश्मा है |
एक अजब-सी चाहत है
जिसे पाने का जज्बा है |

मुझे भी कुछ करना है
मुझे भी कुछ बनना है |
कुछ बन के दिखाना है
ऐसी मेरी दिली तमन्ना है |

यूं घूट-घूट कर जीना
मुझे आता नहीं |
जो शौक दिल में है
वो छूट सकता नहीं |

मेरा मन भी था जिद्दी
भागने लगा उस ओर ही
सबसे छिपकर, दोस्तों से मिलकर
जब कदम मंजिल की ओर जाने लगी |

न दिखाया शक्ल, न की तकल्लुफ
बस चाहत की प्रदर्शन करने लगी |
तकदीर को खुदा माना
और पाया शोहरत कम समय में ही |

बुधवार, 2 अगस्त 2017

मन की दुहाई

मैं ठहरा हुआ पानी
वो चंचल हवा है |
किस गली जाने
वो चांद खिला है |

सदाये जो तेरी
चलती थी यहां पे
मिलता था दिल को करार
पर न जाने किससे
अब इकरार हुआ है |

वो लौटी तो ऐसे
इठलाते, बलखाते
मुस्काराते हुए मुझसे
कह दिया,
किसी से प्यार हुआ है |

मैने भी सोचा
वो चंचल है, बहता मन है
लेकिन वो कौन है
जिसे इस पर ऐतबार हुआ है |

बुधवार, 12 जुलाई 2017

छांव की नरमी

तू है कर्ता-धर्ता
तेरे लिए जग रोता |
जाएगा जिस ओर तू
मैं भी उसी ओर चलता |

संभलना सीखा तुझसे
मैं चलना सीखा तुझसे |
अगर मैं गिर गया कहीं भी
तो उठना सीखा तुझसे |

मेरी है पगडंडी तू
मेरी हर कदम है ही तू |
ठोकरें बन जाऊँ न मैं
इसलिए बैसाखी है तू |

मेरी हिम्मत जब भी टूटी
मेरी सोच जब भी रूकी |
समझ लिया तूने मेरे मन को
क्योंकि तू ही है मेरी शक्ति |

लड़ रहा हूँ अब अपने खून के लिए मैं
मेरे अपने को खोज रहा हूँ अब मैं |
मेरी आत्मा तू ही है,
मेरी शब्द भी तू ही है
तेरे शांति के कारण ही रो रहा हूँ अब मैं |

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

बांवरा मन

आहत जब भी सुनता हूँ
तो ऐसा क्यों लगता है
जो है मेरे पास
पर दिल का हुआ नहीं मेरे |

जब दिल उदास था
मन में मेरे एक बात था
आँसू निकल रहे ये सोचकर
क्यों ये बह रहे मेरे ?

ये चेहरा उतरा हुआ है
जैसे कोई तूफान ठहरा हुआ है
आज बात में दम नहीं है
शब्द लगता है खो गये मेरे |

न जाने किस गली, किस शहर में
तू छुपा बैठा हुआ है
तू गया है जब से
अच्छाई छुप गये मेरे |

दबे पाँव आती थी जब तू मेरे पास
छोटी ही सही, हमारी मुलाकात
पर अब तरस गया तेरी एक झलक
जो नहीं कर पा रहा दिल मेरे |

रविवार, 23 अप्रैल 2017

एकतरफ़ा नज़र

ठोकरें रस्तों पर हैं
चल जरा संभल कर तू |
आँख मत मूंद ए नादान
कहीं ठोकरें बन जाए न तू |

उलझ पुलझ चुकी है दुनिया
भीड़ भी बहुत बढ़ चुकी है
थाम ले अपने तेज कदमों को
कहीं सूखों पे फिसल जाए न तू |

अपने नजरें हर ओर रख
हर वक्त पे नजर रख ए मालिक
हमें भूली बिसरी बातों में मत उलझा
बस सुलझा ले अपने हर सोच को तू |

तेरा हर रस्ता यहाँ वहाँ हो गया है
देख कर जरा संभल ले यहाँ
क्यों गिर गिर कर चल रहा है
अकेला है हर रस्ते पे तू |

बुधवार, 15 मार्च 2017

बसंती स्वर

कभी ठंडी हवाओं का झोंका
कभी खुशी दिखाने का अनोखा मौका |
कभी दुश्मनों का गले लग जाना
कभी दोस्त बनकर प्यार दिखाना |

आता हूँ उस वक्त साल में
जब सब अपने आप में व्यस्त होते हैं |
मिल लेता हूँ उन लोगों से भी
जो कभी नजर नहीं आते हैं |

हमारे आने से प्यार आ जाता है
इस मौसम में हर कोई अपना बन जाता है |
भूले-बिसरे लोग भी याद आने लगते हैं
और सबका अंदाज बदल जाता  है |

शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

जन्नत जहां

मेरी जन्नत को बचा लो
तुम्हें गले लगा लूंगा |
ये मुश्किल है कहना तुझसे
फिर से सजा दूंगा |

तुझे बेबस, तुझे लाचार
जिस किसी ने भी बनाया |
न कुछ सोचा, न कुछ समझा
तेरी जमीं को जला डाला |

ये हमारा है, हमारा रहेगा
हमसे कोई छीन नहीं सकता |
इससे हर साँस, इससे हर आस
हमेशा से हमारा था |

ये खुला आसमान और हसीन वादियों
जिसमें गंदगी भर गयी|
कुछ शैतानों ने सुरंग के सहारे
कई हदें पार कर ली |

आलम ये दिखा दिया
हममें हिंसा जगा दिया |
हमने भी क्रूरता दिखा दी
और उनमें डर जगा दिया |

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

जश्न - ए - जुदाई

अनजाने में एक तोहफा
दे दिया था किसी ने |
छोड़ आया उस गली
जहां मिला था वो मुझे |

क्या भरोसा करना उस पर
जो किसी काबिल ना हो |
क्यों चलता रहूँ उसके पीछे
जो कभी हासिल ना हो |

क्या दोस्ती, क्या दुश्मनी
अब इसमें कोई दिलचस्पी नहीं |
क्या प्यार, क्या मोहब्बत
नहीं चाहिए ये सब कभी |

इंतजार करने की हिम्मत नहीं
किसी को चाहने की अब सोचता नहीं |
मिलते हैं कई लोग तन्हा जिन्दगी में
किसी से जुड़ने का अब शौक नहीं |

सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

आखिरी हंसी

एक अदब सी चाह है
तुझे पाने की |
एक शौक है
तुझे दिल में रखने का |
पता नहीं
किस ओर मुड़ गया है
मेरे ख्वाबों का पन्ना |
दिल बस में नहीं
और चेहरा बन चुका है
किसी के यादों का आईना |
आंसू रुकते नहीं
यादें जाती नहीं
और भूल चुका हूँ मैं
आखिरी हंसी कब निकली थी |
तेरी बातें, तेरी हंसी,
तेरी खुशी में ही मेरी खुशी |
अलविदा कहने की आदत
तेरे चले जाने से बनी |

बुधवार, 18 जनवरी 2017

बख्श दो यारों

किसी के आंसू निकलते रहे
किसी का दिल नहीं भरता |
कोई पत्थर रूपी इंसान
जो शैतान को चुनौती दे देता |

हम जो हैं इस दुनिया में
तो दाता ने भी है पूजा |
खुदा भी भावुक हो गया
जब इंसान को हैवान की तरह देखा |

जो बख्श नहीं दोगे इसे
तो कैसे रहेगी ये दुनिया |
ये जननी है हम सबकी
इसके बिना है हमारा क्या |

तुम जीतो चाहे तुम हारो
इससे क्या फर्क है पड़ता |
ये हरकत जो तुम कर रहे
इससे तुमको मिलेगा क्या |

अगर सोचो कल किसी ने
तेरे अपनों को जो रुलाया |
उसे वक्त तुम्हारा क्या हाल होगा
क्या तुमने ये कभी सोचा |

बुधवार, 4 जनवरी 2017

मेरे तमन्नाओं का एहसास

जब भी गिरा, जब भी भटका,
तुझे सोच कर मैं संभल गया |
जब खुश हुआ, जब मैं दुखी हुआ,
तुझे सोच कर मैं प्रसन्न हो गया |

न जाने तु किसे सोच कर खोई है
न जाने तु किसकी याद में डूबी है |
जब साथ रही तु मेरे, जब पास रही तु मेरे,
तेरा साथ पाकर मैं इस जहाँ से बेखबर हो गया |

तु दूर रहे, तु पास रहे,
बस तेरा प्यार मेरे लिए तेरे दिल में रहे |
जब नशे में थी तु साथ मेरे, जब बाँहों में थी तु साथ मेरे,
तुझे देखकर मैं भी नशे में मग्न हो गया |

याद न रहा, सबकुछ भूल गया
तेरे दामन के साये में सोया रहा |
तुमने प्यार दिया, तुमने खुशी दी,
तेरे  मोहब्बत की बारिश में मैं भींग गया |

कब सवेरा हुआ, कब रात हुआ,
तेरे प्यार के आंधी में हर पहर एक साथ हुआ |
जब तुझे डर-सा हुआ, जब तेरा नशा कम-सा हुआ,
तुझे देखकर मेरा भी दर्द डर में बढ़ गया |