सोमवार, 7 सितंबर 2020

कहानी भारत की

वो वाल्मीकि, रहीम, तुलसी, कबीर

वो साईं साधु संत फकीर।

वो नेहरू, गांधी, बल्लभ, भीम

वो हर क्षण चौकसी करते वीर धीर।

वो गंगा, यमुना, सरयु की धारा

वो बागमती, गोमती की पुकार सुन जरा।


वो मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा

वो सबका मालिक एक ही यारा।

वो अजान, पूजन, अरदास, प्रार्थना

हर जनमानस की एक ही याचना।

वो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

हर धर्मरक्षक की बस एक ही लड़ाई।


वो नेता, अभिनेता या हो श्रोता

हर किसी के चेहरे पर बसा है मुखौटा।

वो दिनकर, बच्चन या हो निराला

हर मौन सिपाही के हाथ में होता है शब्दों का मधुशाला।

वो फाल्के, मिल्खा या हो अटल

वो सिनेमा, खेल और राजनीति में रहे हैं प्रबल।


क्या उत्तर, क्या दक्षिण, क्या पूरब, क्या पश्चिम

हर भूभाग में है कई ऐतिहासिक पंछी।

वो वर्दी सिपाही की हो या हो फौजी की वर्दी

वो जान पर खेलने वाले होते हैं जांबाज खिलाड़ी।

यहां हर मोड़ पर बदलती है वाणी और पानी

यहां खाने, गाने से लेकर हर चीज में है कहानी।

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

बेसब्र तकलीफें

 कब तक रहेंगे हम ऐसे बैठे हुए

कब तक सुनेंगे बात हम हर किसी के ।

कोई तो होगा जो पहचानेगा हमारा हुनर

कोई तो देखेगा हमारे अंदर का सिकंदर ।


दिन बीता, महीने बीते,

अब तो साल भी आने को है ।

परेशान हैं, बेसब्र हैं

पर सवाल अब भी वही ज़हन में है ।


 लेकिन मौसम कुछ ऐसा हो गया है

कि पूरी दुनिया का बस यही सवाल है ।

हर इंसान इस सोच में डूबा हुआ है

इस समस्या का क्या समाधान है ।


फिर भी कोशिश कर रहे हैं पूरी तरह से

पर रास्ता नहीं दिख रहा है कोई छोर से ।

कुछेक मददगारों के शर्तें हजार हैं

इसलिए प्रयास में जुटे हुए हैं हर ओर से ।