शुक्रवार, 6 मई 2022

बीते दौर की बात

दोस्तों, वो भी क्या दौर था ।
मुस्कुराते हुए चेहरे पर खुशियों का जोर था ।
जो मिलते थे सब एक जगह,
तो लगता था ऐसा,
चेहरे पर खुशनुमा भावनाओं का शोर था ।
उस दौर की भी अजब कहानी थी ।
जाते हुए नैनों पर आंसूओं की निशानी थी ।
कह जाते थे मिलेंगे जल्द ही,
बस अपना ख्याल रखना,
हर लबों पर सिर्फ इंतजार ही जबानी थी ।
क्या जानना चाहोगे उस दौर के बारे में ।
किस्से जो छिपे थे चाँद, सितारों और तारे में ।
क्या बच्चे, बड़े और बुजुर्ग,
हो जाते कभी दुखी, तो होते थे कभी खुश,
भावनाएं जो छिपाए नहीं छिपती थी,
किसी भी किनारे में ।
याद आएंगे जब भी बीते हुए दौर,
तो सिर्फ रोना ही आएगा ।
इस भागते हुए दौर में,
कोई ना साथ दे पाएगा ।
जो बीत गया, वो बीत गया,
उसे समय को भूल जाओ,
आने वाला वक़्त ही, आगे लेकर जाएगा ।