गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

आज की नारी

बेटी अज की गई
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरणों को थोड़ी सी घाष दाल दो!
वह आज की नारी है!
उसकी प्रगति जारी है!
आज...
जलती हुई
मोम्बात्ति है
और न
पिघलता हुआ मोम
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से

समाज का नया रूप खिला है!

शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

हमारा खुदा

हर तरफ
सबसे आगे आने की
दौड़ चल रही थी!
मैं उसमे सबसे
पीछे चल रहा था!
हर बात में ले लिया
करता था
खुदा का इज़ाज़त!
आज खुदा भी
हमसे दूर हो गया था!
प्यार से बुलाया था
जिसे मैंने
आज वो भी मेरा
कोई न रहा!
आज मैं सबसे अलग
रहना चाहता हूँ
तो बुलावा आया आपका!

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

मेरी एक छोटी-सी शायरी

इश्क के गुलशन को गुल गुज़ार न कर!
ऐ नादान इंसान कभी किसी से प्यार न कर!
बहुत धोखा देते हैं मोहब्बत में हुस्न वाले,
इन हसीनो पर भूल कर भी ऐतबार न कर!

दिल से आपका ख्याल जाता नहीं!
आपके सिवा कोई और याद आता नहीं!
हसरत है रोज़ आपको देखूं,
वरना आप बिन जिंदा रह पाता नहीं!

वे चले तो उन्हें घुमाने चल दिए!
उनसे मिलने-जुलने के बहाने चल दिए!
चाँद तारों ने छेड़ा तन्हाई में ऐसी राग,
वे रूठे नहीं की उन्हें मानाने चल दिए!

वो मिलते हैं पर दिल से नहीं!
वो बात करते हैं पर मन से नहीं!
कौन कहता है वो प्यार नहीं करते,
वो प्यार तो करते हैं पर हमसे नहीं!

नाबिक निराश हो तो साहिल ज़रूरी है!
ज़न्नत की तलाश में हो तो इशारा ज़रूरी है!
मरने को तो कोई कहीं मर सकता है,
लेकिन ज़ीने के लिए सहारा ज़रूरी है!

शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

आज की नारी

बेटी आज की गाय नहीं
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरने को थोड़ी-सी घास डाल दो!
वह आज की नारी है
उसकी प्रगति ज़ारी है!
आज...
न वह
जलती हुई
मोमबत्ती है
और न
पिघलता हुआ मोम,
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से
समाज का नया रूप खिला है!

शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

किससे क्या कहें?

जब उजाले साथ छोड़ दे,
तो साए को दोष कौन दे?
जब मांझी ही नाव डुबे दे,
तो नाव को दोष कौन दे?
जाब माली बाग़ उजाड़े,
तो फूलों को दोष कौन दे?
जाब अपने कफ़न ओढ़ा दें,
तो पडोसी को दोष कौन दे?
जाब मौसम रंग बदल दे,
तो 'विवेक' को दोष कौन दे?

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

अफ़सोस है मुझे

हमें सभी के लिए बनना था
और शामिल होना था सभी में

हमें हाथ बढ़ाना था
सूरज को डूबने से बचने के लिए 
और रोकना अंधकार से
कम से कम आधे गोलार्ध को

हमें बात करना था पत्तियों से
और इकठ्ठा करना तितलियों के लिए
ढेर सारा पराग

हमें बचाना था नारियल का पानी
और चूल्हे के लिए आग

पहनना था हमें
नग्न होते पहारों को
पदों का लिबास
और बचानी थी हमें
परिंदों की चहचाहट

हमें रहना था अनार में दाने की तरह
मेहँदी में रंग
और गन्ने में रस की तरह

हमें यादों में बसना था लोगों के
मटरगस्ती भरे दिनों सा
और दोरना था लहू बनकर
सबो के नब्ज़ में

लेकिन अफ़सोस की हमें
कुछ नहीं कर पाए
जैसा करना था हमें!

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

ज़िन्दगी के दो कदम

ज़िन्दगी के दो कदम
हैं जब कभी बढ़ते हुए!
ज़िन्दगी के दो कदम
हैं कभी-कभी मिलते हुए!
ज़िन्दगी के दो कदम
हैं जब पास आते हुए!
ज़िन्दगी के दो कदम
हैं सदा मुस्कुराते हुए!

ज़िन्दगी ने देख लिया
जब मुझे रोते हुए!
पूछ लिया उसने मुझसे
क्या हुआ है अब तुझे?
ज़िन्दगी के दो कदम
की क्या सुनाऊं दास्ताँ?
ज़िन्दगी के दो कदम
से क्यूँ हैं हम भागते हुए!

बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

एक ग़ज़ल - जिगर मुरादाबादी

एक लफ्जे-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है!
सिमटे तो दिले-आशिक, फैले तो ज़माना है!

हम इश्क के मारों का इतना ही फ़साना है!
रोने को नहीं कोई हंसने को ज़माना है!

वो और वफ़ा-दुश्मन, मानेंगे न माना है!
सब दिल की शरारत है, आँखों का बहाना है!

क्या हुस्न ने समझा है, क्या इश्क ने जाना है!
हम ख़ाक-नशीनो की ठोकर में ज़माना है!

ऐ इश्के-जुनूं-पेशा! हाँ इश्के-जुनूं पेशा,
आज एक सितमगर को हंस-हंस के रुलाना है!

ये इश्क नहीं आशां,बस इतना समझ लीजे
एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है!

आंसूं तो बहुत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन
बिंध जाए सो मोती है, रह जाए सो दाना है!

रविवार, 26 सितंबर 2010

वक़्त

ये वक़्त कैसा है, जिसने किसी को नहीं बक्सा!
ये वक़्त ऐसा है, जिसने मुझे भी नहीं छोड़ा!

वक़्त की जितनी तकल्लुफ कीजिये, उतना ही नुकसान होता है!
ये वक़्त अगर आगे निकल जाए, तो पीछे कभी नहीं लौटता है!

वक़्त की खूबसूरती पर आप नहीं जाइये!
ये अन्दर से कुछ और, और बाहर से कुछ और दिखता है! 

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

ज़िन्दगी (एक सफ़र)

हर पल जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
हर कदम जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
वो पल बीत गया
जब खुश हुआ था मैं!
वो दूर हो गया
हर वक़्त जिसके पास
रहता था मैं!
काश! खुशनुमा होती मेरी ज़िन्दगी
ये अब कहता हूँ मैं!

गुरुवार, 13 मई 2010

अपनी ख्वाहिश

लोगो को देखा तो ये सोच आया
हम अपनी कोशिशें रहेंगे ज़ारी!
सफलता को छूने के लिए करेंगे मेहनत
अपनी खवाहिशें न रहने देंगे अधूरी!

इस सोच को न बदलने देंगे
आये हर सफलता को न जाने देंगे!
होगी यही कोशिश की करें खुद भी मेहनत
कुछ न छूटे, इसलिए हम लें सबसे मदद!