बुधवार, 14 सितंबर 2016

एक सवाल ... सिर्फ तुमसे

सवाल करूँ या राय जानूँ?
ये कैसा हृदय है तेरा
तुम इंसान हो या हैवान
जिसे तुम मिटा रहे हो
वही तुम्हारी जननी है |
क्या तुमने कभी सोचा है
अगर ये ना रही
तो तुम कैसे रहोगे?
जिसकी तुम पूजा करते हो
जिसे तुम माँ मानते हो
उसी को समाप्त कर रहे हो |
मेरा हृदय काँप उठता है
जब तुम्हारा ये रूप देखता हूँ
क्या तुम्हें जरा भी दया नहीं आती?
क्या तुझमें इंसानियत नहीं बची?
मैं ये पूछना चाहता हूँ
तुम्हारे मन में ये प्रतिसोध कहाँ से आया
ये सवाल सिर्फ इसलिए
क्योंकि तुझे नींद से जगाना है
और तुम्हारे मन में सकारात्मक सोच लाना है |

रविवार, 11 सितंबर 2016

एक अवसर ...

एक अवसर दो मुझे
मैं तुझे चाहत की चाह दिखा दूंगा |
ये बता दूंगा
दिल से चाहना किसे कहते हैं |

एक अवसर दो मुझे
मैं तुझे अंधेरे में नजारे दिखा दूंगा |
ये बता दूंगा
अंधेरे में रौशनी कैसे लाते हैं |

एक अवसर दो मुझे
मैं तुझे समय की ताकत बता दूंगा |
ये दिखा दूंगा
पल पल में हर पल कैसे बदलते हैं |

एक अवसर दो मुझे
मैं तुझे शांति का महत्व बता दूंगा |
ये बता दूंगा
शांतिपन को महसूस कैसे करते हैं |

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

विचलित मन

नई नवेली दुल्हन
अंदर में चुपचाप बैठी है |
कहने को बहुत सारी बातें
लेकिन दिल से घबरा रही है |
इंतजार है उसे किसी खास का
जो उसका साथ दे सके |
जब मिला उसे चाहने वाला
तो वो होश खो बैठी |
इस शहर में नई नवेली
ना कुछ जानती, ना कुछ पहचानती |
कोई आ जाए उससे मिलने
तो बस शर्माती, हिचकिचाती |
जब हम गए उससे मिलने
तो वो डर गई, सहम गई
फिर ना रूकी, रोते रही |
हमने पूछा - - कहो, क्या हुआ?
वो गले मिली, घबराई हुई
हमसे बोली - - मेरे साथ रहो, कहीं मत जाओ |
उसे संभाला, उसे प्यार दिया
विश्वास दिलाया, फिर उसने मुस्कुरा दिया |

रविवार, 4 सितंबर 2016

गुरूदेव

तुमने सिखाया, तुमने बतलाया |
तुमने बुलाया, तुमने समझाया |
मैं जब तेरे पास आया
घबराये हुए मन को तुमने मार्गदर्शन कराया |

मैं बेबस, मैं लाचार
मैं चंचल, मैं शैतान
मुझे नई चीजें का शौक जब आया |
सही रास्ते पर तब तुमने लाया |

तुमने संवारा, तुमने संभाला
हर मोड़ पर जब मैं लड़खड़ाया |
तुम साथी बने, तुम सारथी बने
मदद करने को तु आगे आया |