शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

हमारा खुदा

हर तरफ
सबसे आगे आने की
दौड़ चल रही थी!
मैं उसमे सबसे
पीछे चल रहा था!
हर बात में ले लिया
करता था
खुदा का इज़ाज़त!
आज खुदा भी
हमसे दूर हो गया था!
प्यार से बुलाया था
जिसे मैंने
आज वो भी मेरा
कोई न रहा!
आज मैं सबसे अलग
रहना चाहता हूँ
तो बुलावा आया आपका!

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

मेरी एक छोटी-सी शायरी

इश्क के गुलशन को गुल गुज़ार न कर!
ऐ नादान इंसान कभी किसी से प्यार न कर!
बहुत धोखा देते हैं मोहब्बत में हुस्न वाले,
इन हसीनो पर भूल कर भी ऐतबार न कर!

दिल से आपका ख्याल जाता नहीं!
आपके सिवा कोई और याद आता नहीं!
हसरत है रोज़ आपको देखूं,
वरना आप बिन जिंदा रह पाता नहीं!

वे चले तो उन्हें घुमाने चल दिए!
उनसे मिलने-जुलने के बहाने चल दिए!
चाँद तारों ने छेड़ा तन्हाई में ऐसी राग,
वे रूठे नहीं की उन्हें मानाने चल दिए!

वो मिलते हैं पर दिल से नहीं!
वो बात करते हैं पर मन से नहीं!
कौन कहता है वो प्यार नहीं करते,
वो प्यार तो करते हैं पर हमसे नहीं!

नाबिक निराश हो तो साहिल ज़रूरी है!
ज़न्नत की तलाश में हो तो इशारा ज़रूरी है!
मरने को तो कोई कहीं मर सकता है,
लेकिन ज़ीने के लिए सहारा ज़रूरी है!

शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

आज की नारी

बेटी आज की गाय नहीं
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरने को थोड़ी-सी घास डाल दो!
वह आज की नारी है
उसकी प्रगति ज़ारी है!
आज...
न वह
जलती हुई
मोमबत्ती है
और न
पिघलता हुआ मोम,
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से
समाज का नया रूप खिला है!