बुधवार, 6 अप्रैल 2011

ऐ बेखबर...

ज़िन्दगी एक दोस्त थी
 दोस्त बनकर न रही!
ज़िन्दगी एक किताब थी
जिसकी मैंने केवल
एक-दो पन्ने पढ़ी!
ज़िन्दगी के इस खेल में
मैंने ऐसा किया
जिससे मेरी दुश्मनी हो गयी!