सोमवार, 23 जून 2014

तुम मिले !

तुझसे मैं अंजान था !
तुझसे जब मेरा ना पहचान था !!
जब जाना मैंने तुझे !
जीने लगा था मैं कुछ ऐसे !!
बातें करने का सिलसिला जब शुरू हुआ !
तेरे संदेशों  से मुझे प्यार हुआ !!
यूँ अक्सर सोचा करता था !
तुझसे मिलने को दिल करता था !!
जब आवाज़ दी थी तुमने मुझे !
मैं डरा-सहमा, ना गया पास तेरे !!
चली गयी हो तुम अब किसी के में !
कैसे आऊँ अब तेरे प्यारे महफ़िल में !!
कुछ वक़्त पहले जो मिला था प्यार !
उसे कैसे ढूँढू अब मेरे यार !
मैं अब उससे यही कहूँगा ---
"रातें गुमनाम होती हैं,
दिन भी किसी के नाम होता है !
हम ज़िन्दगी में कुछ ऐसे जीते हैं,
की हर लम्हा दोस्तों के नाम होता है !"

मंगलवार, 10 जून 2014

आपसे मिलकर !

कुछ कदम ऐसे मिले
जो अर्सों से दूर थे !
कुछ बात ऐसी बनी
जो अर्सों से गुमशुदा थी !

पुराने दोस्त लौट आये !
पुरानी यादें लौट आई !
ढूँढ रहे थे जिसे हम
वो अब हैं मिल पाए !

खुश हुए हैं आपसे मिलकर
खुश हो जाइये आप भी !
मत सोचिये अब मुझे
और कुछ कीजिये भी !

शुक्रवार, 6 जून 2014

तुम मेरे हो !

छुप गया चेहरा परछाइयों में कहीं !
ख्वाबो में गुम हो गया इरादा कहीं !
जिसे जानता था, जिसे चाहता था,
वो रूठ कर चले गए हमसे कहीं !

उसे समझाऊं भी तो कैसे ?
उसे बताऊँ भी तो कैसे ?
वो रूठी हुई है इस कदर मुझसे,
खुद को संभालूं भी तो कैसे ?

उससे नज़र मिलाने को काफ़ी वक़्त हो गए !
उसके राह में नए अजनबी दिख रहे !
वो याद में मेरी है, पर साथ में नहीं,
उससे कुछ कहने को ज़माने हो गए !

सोमवार, 2 जून 2014

वो... कौन थी ??

जाने ऐसा क्यों लगने लगा,
जब तू मेरे करीब आने लगा !
दिल ढूंढ़ता है उस पल को,
जब मैं तुझसे मिला !

ख़ुशी हुई थी इस कदर,
जब अर्से बाद हुई थी तुझसे मुलाक़ात !
सोचता था तेरे बारे में,
किया  करता था तेरी ही बात !

सोचता हूँ उस पल को !
कोसता हूँ उस पल को !
अगर दोस्त ना होते तुम मेरे,
तो नहीं याद करता उस पल को !

चले गए हो दूर अब तुम मुझसे,
सोचना नहीं चाहता अब तेरे बारे में !
तलाश है अब नए अजनबी की,
जो आ जाये मेरे ज़िन्दगी में !