शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

चित्रलेखन


तुझे देखा उन लिबासों में
जिन्हें हम पहनना पसंद नहीं करते !
फिर भी न चाहते हुए भी
हर रोज़ हम इंतज़ार किया करते !
तस्वीरों में तुझे ढाल लिया
अब दिल में हैं उतारना चाहते !
जब-जब तुझे नज़रों के सामने पाया
ऐसा लगा तुम्हें मैंने दिल में है बसाया
अब हर रोज़ तुम्हें देखना चाहते !
अब हर रोज़ तुझे सोचना चाहते !
बचपन से तुझे जानता हूँ
तेरे रग-रग से वाकिफ़ हूँ
कुछ वर्ष तुझसे दूर क्या हो गया !
तुमने हमें इस तरह भूला दिया
जैसे मैं एक अजनबी हो गया !
सच ही कहा है किसी शायर ने à
मोहब्बत न करना ज़िंदगी में !
बहुत ग़म भरे हैं इस दिल्लगी में !
लेकिन अब ऐसा लगता है
दोस्ती तभी तक निभाओ
जब तक दोस्त तुम्हारा साथ दे !
खुद में इतना मत खो जाओ
की सामने कुछ दिखाई ही न दे !
बड़े विद्वान ये कहा करते थे à
प्रेम मन से होता है,
प्रेम नज़रों से होता है,
प्रेम दिल से होता है !
लेकिन अब ऐसा लगता है की
बीते समय की बात हो गयी
यादों की बारात हो गयी !
नजरे इंतज़ार किया करती थी
अब ये भी पुरानी बात हो गयी !

सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

मिलावट की दुनिया


कुछ अर्से पहले हमने
कभी ऐसा ना सोचा था !
जैसे आज जी रहे हैं
ज़िंदगी वैसा कभी होगा !
हर दूसरे दिन, हर दूसरे लोगों
की तबीयत में खराबी !
जब कुछ खाते और पीतें हैं
तो महसूस होती है गड़बड़ी !
अब तो करो आगाज,
उस अंजाम तक पहुँचने का
जिसकी हुई थी कभी शुरूआत !
उसे दे एक नयी आवाज़
और बना दे एक नया इतिहास !
अब उठ जाओ दोस्तो,
जागो अपने सपनों से
करो दोस्ती उन लोगों से !
जिनहोने मिलावट के लिए
तुम्हें सुला दिया !
अपने मुस्कान के लिए
तुम्हें रुला दिया !
कभी ना हो ऐसी ज़िंदगी
जिसे चैन से जी ना सकें !
कभी खुल के ना हँस पाएँ
और ना रो सकें !
मिलावट की इस दुनिया में
कोई एक दिन
अच्छे से रह नहीं सकता !
उसे जानता नहीं, उसे पहचानता नहीं
इसलिए कुछ कह भी नहीं सकता !
दोस्तों, समझ उसमे है बड़ी
लेकिन समझ कहाँ चली गयी मेरी !
सोच-सोच कर हूँ परेशान
शक्ल से हूँ थोड़ा नादान !
लेकिन समझ नहीं पा रहा इस बात को
कैसे हो इसका निदान ?