शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

क्यों हम ऐसे थे ?

हम अर्से तक साथ जिए
साथ बितायी अपनी ज़िन्दगी !
साथ में रहकर लड़ी लड़ाई
कुछ साथियों को जो नहीं भाई !
पहली बार जब उतरे मैदान पर
क्यों अजीब-सा लगने लगा ?
कुछ साथी जो साथ थे अब तक
अब अकेला ही लड़ाई लड़ रहा !
ज़िन्दगी कुछ इस तरह जिया हमने
दूर रहकर भी जो साथ रहे अपने !
ज़िन्दगी धुप-छाऊँ की तरह बीत गयी हमारी
भावुक कभी नहीं किया उन्होंने !
हो सके तो हमें माफ़ कर देना
लेकिन मजबूर हूँ अपने इरादे से !
तेरे साथ जीना चाहता था पूरी ज़िन्दगी
पर जुदा होकर भी साथ हूँ तेरे !