बुधवार, 28 जनवरी 2015

महाप्रलय


जी रहा थे सुकून की ज़िंदगी !
दिलों में थी खुशी ही खुशी !!
दोस्तों से बातें किया करते थे !
खुशी और ग़म बाँटा करते थे !!
सोचा न था एक दिन ऐसा भी आएगा
जिस दिन तूफान खड़ा हो जाएगा !!
बिखर जाएंगे जब हम सभी
तब खुदा ही रास्ता दिखलाएगा !!
न जाने वो कौन-सा वक़्त था
जब आ गए थे हम ऐसे मोड़ पे
बेबस थे, कुछ कर नहीं सकते थे
पर हम ये सोच रहे थे !
कब थमेगा ये भयंकर तूफान
कब आएगी हमारी जान में जान
सोच-सोच कर हम थे परेशान !
पर वो पल थमा नहीं
तूफान का रूख बदला नहीं
प्रार्थना कर थे ये हम यही !
कुछ दिवस तक मौसम रहा ऐसा ही
हमारे चाहने वाले भी पूछते रहे यही
हम उनसे क्या कहते, इसलिए हम चुप रहे !
जब कुछ समय बाद आँख खुली
तो नज़ारा कुछ इस तरह था
देखा तो सामने कुछ भी न था !
जो लोग दिख रहे थे, वो अपनों को ढूंढ रहे थे
पर हम भी कुछ ऐसा ही कर थे !
जरूरत की वस्तू खो चुकी थी
रहने को जगह न थी
बदन पे कपड़े जरूर थे, लेकिन दिलों में जान न थी !
हम ज़िंदा जरूर थे, लेकिन साँसे न थी !
ज़िंदगी हमारी बदल गयी थी
लेकिन शहर हमारा वही था !
गुम हो चुके थे जो हमारे
अब उन्हें क्या याद करना !

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

भूले बिसरे दिन


अब उस रास्ते पे क्यूँ जाना, जिसने हमें ठुखरा दिया !
चलो चले उस मंज़िल की ओर, जो हमें है पुकार रहा !
कर लिया इंतज़ार अब तक, अब और नहीं कर सकता !
नए साथी बहुत बनते हैं, पुराने दोस्तों को नहीं भूल सकता !

नज़रें मिलाने के काबिल न हूँ, लेकिन भूल मत जाना तुम मुझे !
तेरे दिल के करीब बैठा हूँ, लेकिन बात नहीं कर सकता तुझसे !
आज फिर से आया हूँ उस पथ पे, जहां से भटक गया था मैं !
न जाने ऐसे ख्याल क्यूँ आ रहे हैं, जो सोच नहीं सकता मैं !

तुझ बिन कई ऐसे दिन बीत गए, जिसे याद नहीं करना चाहता !
पर उन साथियों को कैसे बताऊँ, जिनसे आगे अब नहीं बढ़ सकता !
जब साथ थे हम सब कभी, तो बहुत मौज किया करते थे !
आज फिर जब बात होती है कभी, तो इसी तरह हम रहते हैं !