जी
रहा थे सुकून की ज़िंदगी !
दिलों
में थी खुशी ही खुशी !!
दोस्तों
से बातें किया करते थे !
खुशी
और ग़म बाँटा करते थे !!
सोचा
न था एक दिन ऐसा भी आएगा
जिस
दिन तूफान खड़ा हो जाएगा !!
बिखर
जाएंगे जब हम सभी
तब
खुदा ही रास्ता दिखलाएगा !!
न
जाने वो कौन-सा वक़्त था
जब
आ गए थे हम ऐसे मोड़ पे
बेबस
थे, कुछ कर नहीं सकते थे
पर
हम ये सोच रहे थे !
कब
थमेगा ये भयंकर तूफान
कब
आएगी हमारी जान में जान
सोच-सोच
कर हम थे परेशान !
पर
वो पल थमा नहीं
तूफान
का रूख बदला नहीं
प्रार्थना कर थे ये हम यही !
कुछ
दिवस तक मौसम रहा ऐसा ही
हमारे
चाहने वाले भी पूछते रहे यही
हम
उनसे क्या कहते, इसलिए हम चुप रहे !
जब
कुछ समय बाद आँख खुली
तो
नज़ारा कुछ इस तरह था
देखा
तो सामने कुछ भी न था !
जो
लोग दिख रहे थे, वो अपनों को ढूंढ रहे थे
पर
हम भी कुछ ऐसा ही कर थे !
जरूरत
की वस्तू खो चुकी थी
रहने
को जगह न थी
बदन
पे कपड़े जरूर थे, लेकिन दिलों में जान न थी !
हम
ज़िंदा जरूर थे, लेकिन साँसे न थी !
ज़िंदगी
हमारी बदल गयी थी
लेकिन
शहर हमारा वही था !
गुम
हो चुके थे जो हमारे
अब
उन्हें क्या याद करना !
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