कुछ
अर्से पहले हमने
कभी
ऐसा ना सोचा था !
जैसे
आज जी रहे हैं
ज़िंदगी
वैसा कभी होगा !
हर
दूसरे दिन, हर दूसरे लोगों
की
तबीयत में खराबी !
जब
कुछ खाते और पीतें हैं
तो
महसूस होती है गड़बड़ी !
अब
तो करो आगाज,
उस
अंजाम तक पहुँचने का
जिसकी
हुई थी कभी शुरूआत !
उसे
दे एक नयी आवाज़
और
बना दे एक नया इतिहास !
अब
उठ जाओ दोस्तो,
जागो
अपने सपनों से
करो
दोस्ती उन लोगों से !
जिनहोने
मिलावट के लिए
तुम्हें
सुला दिया !
अपने
मुस्कान के लिए
तुम्हें
रुला दिया !
कभी
ना हो ऐसी ज़िंदगी
जिसे
चैन से जी ना सकें !
कभी
खुल के ना हँस पाएँ
और
ना रो सकें !
मिलावट
की इस दुनिया में
कोई
एक दिन
अच्छे
से रह नहीं सकता !
उसे
जानता नहीं, उसे पहचानता नहीं
इसलिए
कुछ कह भी नहीं सकता !
दोस्तों,
समझ उसमे है बड़ी
लेकिन
समझ कहाँ चली गयी मेरी !
सोच-सोच
कर हूँ परेशान
शक्ल
से हूँ थोड़ा नादान !
लेकिन
समझ नहीं पा रहा इस बात को
कैसे
हो इसका निदान ?
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