बुधवार, 18 जनवरी 2017

बख्श दो यारों

किसी के आंसू निकलते रहे
किसी का दिल नहीं भरता |
कोई पत्थर रूपी इंसान
जो शैतान को चुनौती दे देता |

हम जो हैं इस दुनिया में
तो दाता ने भी है पूजा |
खुदा भी भावुक हो गया
जब इंसान को हैवान की तरह देखा |

जो बख्श नहीं दोगे इसे
तो कैसे रहेगी ये दुनिया |
ये जननी है हम सबकी
इसके बिना है हमारा क्या |

तुम जीतो चाहे तुम हारो
इससे क्या फर्क है पड़ता |
ये हरकत जो तुम कर रहे
इससे तुमको मिलेगा क्या |

अगर सोचो कल किसी ने
तेरे अपनों को जो रुलाया |
उसे वक्त तुम्हारा क्या हाल होगा
क्या तुमने ये कभी सोचा |

बुधवार, 4 जनवरी 2017

मेरे तमन्नाओं का एहसास

जब भी गिरा, जब भी भटका,
तुझे सोच कर मैं संभल गया |
जब खुश हुआ, जब मैं दुखी हुआ,
तुझे सोच कर मैं प्रसन्न हो गया |

न जाने तु किसे सोच कर खोई है
न जाने तु किसकी याद में डूबी है |
जब साथ रही तु मेरे, जब पास रही तु मेरे,
तेरा साथ पाकर मैं इस जहाँ से बेखबर हो गया |

तु दूर रहे, तु पास रहे,
बस तेरा प्यार मेरे लिए तेरे दिल में रहे |
जब नशे में थी तु साथ मेरे, जब बाँहों में थी तु साथ मेरे,
तुझे देखकर मैं भी नशे में मग्न हो गया |

याद न रहा, सबकुछ भूल गया
तेरे दामन के साये में सोया रहा |
तुमने प्यार दिया, तुमने खुशी दी,
तेरे  मोहब्बत की बारिश में मैं भींग गया |

कब सवेरा हुआ, कब रात हुआ,
तेरे प्यार के आंधी में हर पहर एक साथ हुआ |
जब तुझे डर-सा हुआ, जब तेरा नशा कम-सा हुआ,
तुझे देखकर मेरा भी दर्द डर में बढ़ गया |