गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

आज की नारी

बेटी अज की गई
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरणों को थोड़ी सी घाष दाल दो!
वह आज की नारी है!
उसकी प्रगति जारी है!
आज...
जलती हुई
मोम्बात्ति है
और न
पिघलता हुआ मोम
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से

समाज का नया रूप खिला है!