रविवार, 23 मई 2021

महामारी से परेशान इंसान

 इंसान की गलती ने इंसान को ही सबक सिखाया।

महामारी के बुने हुए जाल में हर एक को उलझाया।

घर में कैद हुआ जब घर से दूर रह रहा इंसान

कामकाज में व्यस्त रहने वाला जब परिवार के वक्त में समाया।

 

इस अदृश्य काल ने ना जाने कितने लोगों को मृत्यु के घाट पहुंचाया।

बीमारी से बांधकर सबसे पहले सभी लोगों से दूर करवाया।

कुदरत ने भी आखिर सबको ये एहसास दिलवाया

ऐसे तड़प क्यों रहे हो, आखिर तुमने ही तो ये धुंध है फैलाया।

 

पहली लहर में शहर में ही था, जब बुजुर्गों के हाल को बेहाल किया।

दूसरी लहर में गांवों में पांव फैलाया, अब युवाओं को इस बीमारी से तड़पाया।

कहर ढाया जब हर के ऊपर तब ये बात समझने लगा हर कोई

क्या गलती हुई थी हमसे, जो दूरियों में ही रिश्ते को रिश्ता बताया।

 

आने वाले वक्त को इस काल के जाल ने ये बतलाया।

कुछ वक्त के लिए ठहर जाओ, बुरे वक्त ने हर इंसान को है फंसाया।

तुम अब दुखी हो गए हो, खुशियों के पल ने तुम्हें पहले था चेताया

पर तुम अपनी नादानियों में भूल गए थे, इसलिए विधाता ने आईने में चरित्र दिखलाया।