मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

मुझसे मत भागो

जो तेरे अंदर बसा है वो भी मैं हूँ
जो तेरे मन में छिपा है वो भी मैं हूँ
जो तू करने वाला है वो भी मैं हूँ
जो तू कर चुका है वो भी मैं हूँ
जो तेरे दिल में है वो भी मैं हूँ
जिसे तुमने मन से निकाला वो भी मैं हूँ
जिससे तुम प्रेम करते हो वो भी मैं हूँ
जिसे तुमने छोड़ दिया वो भी मैं हूँ
जो तेरा कल था वो भी मैं हूँ
जो तेरा आज है वो भी मैं हूँ
और जो तेरा आने वाला कल होगा वो भी मैं हूँ
जिसे तुमने जाना, पहचाना वो भी मैं हूँ
जिसे तुमने नकार दिया वो भी मैं हूँ
जिस पथ पर चल रहे हो वो भी मैं हूँ
जिस पथ से चलकर आए हो वो भी मैं हूँ
हर जगह मैं हूँ, और हर किसी के रग में मैं ही हूँ
इसलिए मुझसे मत भागो
मैं उन सभी जगह पर हूँ जहां तक तुम्हारी नज़र है
और जो तुम्हारी नज़रों से कोषो दूर हूँ
मैं मन के अंदर भी रहता हूँ
मैं मन के बाहर भी रहता हूँ
मैं सभी में वास भी करता हूँ
और मैं सभी को वस में भी करता हूँ

शनिवार, 11 अप्रैल 2015

क्यों बन गयी दूरी ?

,
कुछ क्षणों के लिए मैं भी घबरा-सा इस तरह गया
की समझ ना क्या करूँ और क्या नहीं करूँ ?
जब मैंने देखा आँखें खोल कर
तो लगा जैसे मैं नए सवेरे में हूँ
लेकिन मैं नहीं जानता था की मैं अंधेरे में हूँ
मैं सारथी बनना चाहता था उस अर्जुन का
जिसे मैं जानता तो था
लेकिन मैं पहचानता नहीं था
क्योंकि इस मासूम चेहरे के आगे नकाब था
जो आज तक मैंने नहीं देखा था
क्योंकि मैंने अर्जुन से मित्रता की थी
जिसे मैं दिल से निभाना चाहता था
और मैं किसी प्रकार से शक नहीं करना चाहता था
लेकिन मैं आज उस दोराहे पर खड़ा हूँ
जहां से ना पीछे जा सकता हूँ
और ना ही आगे बढ़ सकता हूँ
पर कुछ साथी ऐसे होते हैं
जो आपसी रिश्ते में कभी कड़वाहट नहीं लाना चाहते हैं
और पूरे दिल से निभाने की कोशिश करते हैं
और सहायता करके आपके साथ हो जाते हैं
आज मुझे भी एक ऐसा ही साथी मिला
जिसने रिश्ते बनाए रखा
और तोड़कर कड़वाहट नहीं आने दी
मैं भी खुश हुआ और उसे भी खुशी हुई !

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

मधुर प्रेम


उनके लबों पर जाने किसका नाम था
लेकिन मेरे दिल में सिर्फ उनका नाम था
जब भी सोचता हूँ, उनको ही सोचता हूँ
जब भी याद आती है, उनकी ही याद आती है
क्योंकि प्रेम किसी संकेत के साथ नहीं होता है
प्रेम किसी आधार पर नहीं होता है
प्रेम वो रस है जिसका स्वाद हर कोई लेना चाहता है
प्रेम के बिना ज़िंदगी अधूरी है
प्रेम दोस्ती में भी होता है
प्रेम सम्बन्धों, परिवार जनों से भी होता है
मैंने भी प्रेम किया है उनसे
जिन्हें जानता हूँ, जिन्हें पहचानता हूँ
क्योंकि अगर आप ज़िंदगी खुशी से जीना चाहते हैं
तो ज़िंदगी में प्रेम लाएँ
नहीं तो आप नकारात्मक सोच के साथ जीने लगेंगे
जो आप और हम नहीं चाहते हैं

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

दिल की चाहत


खौफनाक नज़ारे देख-देख कर ज़िंदा रहा ये दिल
फिर न जाने इस कदर क्यूँ डर रहा है ये दिल !
तुझसे नाता जोड़ा था जब मैंने तुम्हें मिलकर
फिर क्यूँ दूर होना चाहती हो,
खुद से डरकर या बातों में आकर ?
अपने आप को गिरता हुआ देखकर डर ऐसे लग रहा
जिसे अच्छा साथी माना उसने दूर रहना बेहतर समझा !
माना की मुझमे इतनी ताकत नहीं की
सबसे ज़ुदा होने का साहस बनाए रखूँ
लेकिन क्या किसी से प्यार करने की भी ताकत नहीं ?
क्यूँ किसी को लगता है मैं किसी लायक नहीं
मैं भी ज़िंदगी में खुशी से रहना चाहता हूँ
किसी के खुशी के खातिर जीना चाहता हूँ !
आज तक ये एहसास न था की
किसी से दिल टूटने पर कैसा एहसास होता है ?
लेकिन अचानक मेरे एक करीबी ने
ये बता दिया की मैं कैसा हूँ ?
मैं आज उस मोड़ पर खड़ा हूँ
जहां से सिर्फ मौत के मंजर नज़र आते हैं
मैंने अब तक ऐसे बहुत से ठोकर खाये हैं
जो किस्से की तरह अब तक मेरे दिल में हैं !
जी रहा हूँ मर-मरकर मैं अब तक ऐसे
खुल के अब जीना चाहता हूँ दोस्तों के जैसे !
कुछ सपने मेरे भी हैं, कुछ इरादे मेरे भी हैं
जिनको पूरी करने की तमन्ना मेरे दिल में हैं  !