रविवार, 14 जून 2009

मुझे मिला सहारा

मैं
खोज रहा था
एक ऐसे
मुसाफिर को
जो
दे सके
मुझे सहारा!

भटक
गया था
मैं
अपनी राह में
कोई
न था
अब हमारा!

मुझे
इंतजार था
पल का
जिसमें मुझे
मिल सके
खुशी!

और मेरे
सोचने से पहले
वो पल
आ गया
और मैं
खुश हो गया!

दोस्त
बनकर आया
एक ऐसा मुसाफिर,
मुझे मिला सहारा
उससे
और अब
मैं खुश रहता हूँ
रात-दिन!