सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

कहानी ... कुछ सवालों के साथ

कुछ अलग करने की जो अंदरुनी जिद्द थी।
इसे पाना सबसे बड़ी मुश्किल थी।
है सफर लंबा, ये मन को मालूम था।
बस शुरू करने के लिए रास्ते पर निकलना था।

थोड़ा समय खराब चल रहा था, लोग थोड़े नाराज थे।
कुछ हासिल जो करना था, सो कुछ खोए जा रहे थे।
कुछ बातें लगती थी अच्छी, कुछ बुरी लग रही थी।
कुछ चीजें दे रही थी खुशी, कुछ दुख पहुंचा रही थी।

मुकाम सोचा था ऐसा, जिसे पा लेना ही एकमात्र विचार था।
इस पर निशाना साधना ही, कोई ज्यादा बड़ा काम न था।
रूकने का कोई कारण न था, आगे बढ़ना में कोई बाधा न था।
ठानी है जो मन में, इसे छोड़ने का अब कोई इरादा न था।

चलो इस कहानी को यहीं विराम देते हैं।
क्यों न हम नई कहानी की बातें करते हैं।
कुछ बातें तुम बताओ, कुछ अपनी बताते हैं।
लेकिन इससे पहले, सबको साथ कर लेते हैं।

थे हम सब एक दूसरे के लिए बिल्कुल नए।
पहचान बनाने में ही कुछ ज्यादा वक्त बीत गए।
फिर हुआ कुछ ऐसा, माहौल बदल गया।
जैसे एक ही पल सबका असली रंग दिख गया।

कोई हुआ किनारा, कोई साथ चलता रहा।
कोई नए मुखड़े के साथ सबसे मिलता रहा।
कोई बना अनजान, कोई जानकर छिपता रहा।
कोई नजरें मिलाने से हर क्षण डरता रहा।

किसी ने माना दोस्त, किसी ने यारी खत्म की।
साथ बैठकर भी इशारों में बातें होती रही।
अंदर में रहे अच्छे, बाहर दूर खड़े रहे।
दिखावे की नजरों से हर जवाब दे गए।