शनिवार, 15 अगस्त 2009

पूछ लो दिल से

मंजिल-मंजिल सोच रहा था!
कदम-कदम पर खोज रहा था!
नहीं मिला तो मैं आज तक
तरप-तरप कर मर रहा था!

पूछता था हर कोई
क्या हुआ है, बता तू?
उनसे डर कर, सोच-सोच कर
मैं ये दिल से पूछ रहा था!

नसीब में मेरे क्या लिखा था
ये मैं नहीं जानता था!
आगे क्या होगा मेरा
ये मैं नहीं जानता था!

पूछ लो दिल से
ये दिल कह रहा है!
खुश हो जाओ दिल से
ये दिल कह रहा है!