शुक्रवार, 6 जून 2014

तुम मेरे हो !

छुप गया चेहरा परछाइयों में कहीं !
ख्वाबो में गुम हो गया इरादा कहीं !
जिसे जानता था, जिसे चाहता था,
वो रूठ कर चले गए हमसे कहीं !

उसे समझाऊं भी तो कैसे ?
उसे बताऊँ भी तो कैसे ?
वो रूठी हुई है इस कदर मुझसे,
खुद को संभालूं भी तो कैसे ?

उससे नज़र मिलाने को काफ़ी वक़्त हो गए !
उसके राह में नए अजनबी दिख रहे !
वो याद में मेरी है, पर साथ में नहीं,
उससे कुछ कहने को ज़माने हो गए !

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