गुरुवार, 3 सितंबर 2020

बेसब्र तकलीफें

 कब तक रहेंगे हम ऐसे बैठे हुए

कब तक सुनेंगे बात हम हर किसी के ।

कोई तो होगा जो पहचानेगा हमारा हुनर

कोई तो देखेगा हमारे अंदर का सिकंदर ।


दिन बीता, महीने बीते,

अब तो साल भी आने को है ।

परेशान हैं, बेसब्र हैं

पर सवाल अब भी वही ज़हन में है ।


 लेकिन मौसम कुछ ऐसा हो गया है

कि पूरी दुनिया का बस यही सवाल है ।

हर इंसान इस सोच में डूबा हुआ है

इस समस्या का क्या समाधान है ।


फिर भी कोशिश कर रहे हैं पूरी तरह से

पर रास्ता नहीं दिख रहा है कोई छोर से ।

कुछेक मददगारों के शर्तें हजार हैं

इसलिए प्रयास में जुटे हुए हैं हर ओर से ।

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