कब तक रहेंगे हम ऐसे बैठे हुए
कब तक सुनेंगे बात हम हर किसी के ।
कोई तो होगा जो पहचानेगा हमारा हुनर
कोई तो देखेगा हमारे अंदर का सिकंदर ।
दिन बीता, महीने बीते,
अब तो साल भी आने को है ।
परेशान हैं, बेसब्र हैं
पर सवाल अब भी वही ज़हन में है ।
लेकिन मौसम कुछ ऐसा हो गया है
कि पूरी दुनिया का बस यही सवाल है ।
हर इंसान इस सोच में डूबा हुआ है
इस समस्या का क्या समाधान है ।
फिर भी कोशिश कर रहे हैं पूरी तरह से
पर रास्ता नहीं दिख रहा है कोई छोर से ।
कुछेक मददगारों के शर्तें हजार हैं
इसलिए प्रयास में जुटे हुए हैं हर ओर से ।
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