बुधवार, 18 जनवरी 2017

बख्श दो यारों

किसी के आंसू निकलते रहे
किसी का दिल नहीं भरता |
कोई पत्थर रूपी इंसान
जो शैतान को चुनौती दे देता |

हम जो हैं इस दुनिया में
तो दाता ने भी है पूजा |
खुदा भी भावुक हो गया
जब इंसान को हैवान की तरह देखा |

जो बख्श नहीं दोगे इसे
तो कैसे रहेगी ये दुनिया |
ये जननी है हम सबकी
इसके बिना है हमारा क्या |

तुम जीतो चाहे तुम हारो
इससे क्या फर्क है पड़ता |
ये हरकत जो तुम कर रहे
इससे तुमको मिलेगा क्या |

अगर सोचो कल किसी ने
तेरे अपनों को जो रुलाया |
उसे वक्त तुम्हारा क्या हाल होगा
क्या तुमने ये कभी सोचा |

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