मंगलवार, 11 जुलाई 2017

बांवरा मन

आहत जब भी सुनता हूँ
तो ऐसा क्यों लगता है
जो है मेरे पास
पर दिल का हुआ नहीं मेरे |

जब दिल उदास था
मन में मेरे एक बात था
आँसू निकल रहे ये सोचकर
क्यों ये बह रहे मेरे ?

ये चेहरा उतरा हुआ है
जैसे कोई तूफान ठहरा हुआ है
आज बात में दम नहीं है
शब्द लगता है खो गये मेरे |

न जाने किस गली, किस शहर में
तू छुपा बैठा हुआ है
तू गया है जब से
अच्छाई छुप गये मेरे |

दबे पाँव आती थी जब तू मेरे पास
छोटी ही सही, हमारी मुलाकात
पर अब तरस गया तेरी एक झलक
जो नहीं कर पा रहा दिल मेरे |

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