मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

मेरी बेबसी

अनजान हैं, अजनबी हैं, पर होश में करते हैं
जिंदगी को मौत बना दिए, फिर भी नासमझ बने हैं |
खुशी के दिन को ग़म में भरकर
मेरी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं |

ग़म मिटाते हैं, धुएँ उड़ाते हैं, सबको रुला रहे हैं
कुछ नाचीज़, तहज़ीब खो कर,  तकल्लुफ़ निभा रहे हैं |
सलामत हो कर भी तकलीफ में हैं
और हमें रुक - रुक कर चलना बता रहे हैं |

जिंदगी की कीमत समझो, खुद को जगह पर लाओ
क्यों किसी का दर्द नहीं समझ रहे, हमें भी बताओ |
फूलों के गुलदस्ते पर काँटे मत भरो
ये नाज़ुक है दामन, इनसे गाँठ मत छुड़ाओ |

खुद के मतलब के लिए, पूरे श़हर को मत रूलाओ
प्रदूषित हो चुका शहर है, और गंदगी मत फैलाओ |
इसकी खूबसूरती से तुम्हें क्या है दुश्मनी
ज़ख़्मी हो चुके शहर के ऊपर, ज़रा मरहम तो लगाओ |

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