शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

जन्नत जहां

मेरी जन्नत को बचा लो
तुम्हें गले लगा लूंगा |
ये मुश्किल है कहना तुझसे
फिर से सजा दूंगा |

तुझे बेबस, तुझे लाचार
जिस किसी ने भी बनाया |
न कुछ सोचा, न कुछ समझा
तेरी जमीं को जला डाला |

ये हमारा है, हमारा रहेगा
हमसे कोई छीन नहीं सकता |
इससे हर साँस, इससे हर आस
हमेशा से हमारा था |

ये खुला आसमान और हसीन वादियों
जिसमें गंदगी भर गयी|
कुछ शैतानों ने सुरंग के सहारे
कई हदें पार कर ली |

आलम ये दिखा दिया
हममें हिंसा जगा दिया |
हमने भी क्रूरता दिखा दी
और उनमें डर जगा दिया |

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