बुधवार, 20 अगस्त 2014

अधूरी ख़्वाहिश

लबों को लबों से आज़ छू जाने दो !
दिल धड़कता है तो धड़क जाने दो !
यूँ मत तड़पाओ तुम मुझे आज
ज़ी भर के बाहों में खो जाने दो !

तुझसे दूर होने का डर रहता है इस दिल को
अपनी मोहब्बत का इज़हार हो जाने दो !
चाहता हूँ तुम्हें हद से भी ज्यादा
आज अपनी तमन्ना पूरी हो जाने दो !

वादा किया था रब से, चाहूंगा तुम्हें शाम-सवेरे
तेरी हर ख़्वाहिश पूरी करूँगा दिल से !
मेरे हर वादे को दिल से गुज़र जाने दो
ख्वाबों से निकला हूँ, हकीकत में आ जाने दो !

कोई टिप्पणी नहीं: