शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

जाग जाओ मित्र

यूँ देर तक मैं सोया हुआ था
तभी किसी ने आकर मुझसे कहा ---
उठ जाओ ! नया सवेरा देखो,
नयी मंज़िल देखो
तुम्हारा इंतज़ार ख़त्म हुआ !
मैंने जब उठ कर देखा तो
कई सारी नयी राह दिख रही थी !
मुझे लगा अब जाग जाना चाहिए
अब आगे बढ़ना चाहिए !
मैं कोशिश करके जब आगे बढ़ा
तो देखा कई मित्र
बहुत आगे बढ़ चुके हैं !
मैंने सोचा अब अकेले ही
आगे बढ़ना चाहिए
और उनके साथ जाना चाहिए !

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