गुरुवार, 14 अगस्त 2014

वर्षा ऋतु

आता हूँ मस्त पवन के साथ
कर देता हूँ सबको मैं खबर !
आ रहा हूँ खुशियां बांटने
जो है मुझसे बेखबर !

द्विमास तक मैं रहता हूँ !
हर जगह बरसता हूँ !
किसी को  होती है ख़ुशी
कोई होता है दुख ये सोचकर !

मैं भी हूँ मस्तमौला
सभी मुझसे कहते हैं
कब लौटूंगा मैं
यहाँ-वहां बरसकर !

कुछ रहते हैं मुझमें मग्न !
कुछ रहते हैं खुद में मस्त !
कुछ कहते हैं
क्यों रहते हो तुम कुछ पल के लिए !
कुछ कहते हैं
यादें छोड़ देते हो हर पल के लिए !

किसी को होता है मुझसे प्यार !
किसी को होता है मुझपे ऐतबार !
किसी को है मुझसे तकरार !
किसी का दिल है बेक़रार !

मेरा तो है बस ये कहना------
"पानी हूँ कहीं बरस जाऊँगा !
किसी के दिल में बस जाऊँगा !
कोई है बेक़रार
ये जानने को
अगर अभी चला गया
तो फिर मिलने को कब आऊंगा !"

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