मंगलवार, 31 मार्च 2015

रहस्य ज़िंदगी का


मेरे जीवन का एक ऐसा रहस्य
जो किसी को मालूम नहीं है
जो मैंने आज तक बताया नहीं है
आज बता रहा हूँ तुम सब को
इसलिए क्योंकि अब मैं कुछ भी
पर्दे के पीछे नहीं रख सकता
जानता हूँ तुम सब उत्सुक भी हो
और तुम सब मस्तमौला भी
मैं भी चंचल था, उत्साहित था
पर मुझे ये पता नहीं था
फिर भी डर लगता था
की मैं क्यूँ उस मुट्ठी में बंद हूँ
मैं क्यूँ उस कमरे तक बंधा हुआ हूँ
जिससे बाहर नहीं आ सकता
मैं भी आज़ाद पंछी की तरह रहना चाहता हूँ
मैं भी खुले गगन में उड़ना चाहता हूँ
मैं भी सबको बताना चाहता हूँ
की मेरे अंदर भी एक कला छुपी है
जो एक रहस्य की तरह है
जो मैं भी नहीं जानता
जिसे मैं बाहर निकालना चाहता
पर मैं क्या करूँ
मैं ऐसे माहौल में बड़ा हुआ हूँ
जहां अब मेरी सांस अटकती है
जहां मैं अब जीना नहीं चाहता
दोस्त कुछ मेरे साथ हैं
जिनके साथ कुछ वक़्त बिताकर
खुश रहने की कोशिश करता हूँ
खुद को नए माहौल में ढालना चाहता हूँ
लेकिन अब ज़िंदगी ऐसे मुकाम पर है
जहां से पीछे नहीं आ सकता
और अब मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा !!

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