शनिवार, 28 मार्च 2015

मेरे जीवनसाथी


इन दिनों नियमित कार्यों में दिल नहीं लग रहे
आश्चर्य होता है हम नजदीक नहीं आ पा रहे
सोच में बसा है वो मुखड़ा, जिसे हम तलाश रहे !!

आज भी याद है मुझे, जब हम पहली दफा मिले थे
हर वक़्त बातों के संग एक-दूसरे में मग्न रहते थे
सुबह-शाम प्रेम का किनारा हम फिर भी तलाश रहे !!

मेरे हमसफर, तुम मेरे जीवनसाथी बन जा
अपने दिल में बसा ले, और खुद को भी भूल जा
न जाने फिर हम कब मिले, जिसका प्रयास हमें रहे !!

हम और तुम आज मिले हैं, इसे जी भर के जी लें
खुशी और ग़म, हर कुछ बाँट लें
वक़्त के इस संगम में मुलाकात बाकी न रहे !!

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