इन दिनों नियमित कार्यों में दिल नहीं लग रहे
आश्चर्य होता है हम नजदीक नहीं आ पा रहे
सोच में बसा है वो मुखड़ा, जिसे हम तलाश रहे !!
आज भी याद है मुझे, जब हम पहली दफा मिले थे
हर वक़्त बातों के संग एक-दूसरे में मग्न रहते थे
सुबह-शाम प्रेम का किनारा हम फिर
भी तलाश रहे !!
मेरे हमसफर, तुम मेरे जीवनसाथी बन जा
अपने दिल में बसा ले, और खुद को भी भूल जा
न जाने फिर हम कब मिले, जिसका प्रयास हमें रहे !!
हम और तुम आज मिले हैं, इसे जी भर के जी लें
खुशी और ग़म, हर कुछ बाँट लें
वक़्त के इस संगम में मुलाकात बाकी न रहे !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें