मंगलवार, 5 मई 2015

मेरी आवाज़ सुनो

मैं हूँ वो साथी
जिसे हर कोई पाना चाहता हैं !
मैं हूँ वो पहचान
जिसके साथ हर कोई जीना चाहते हैं !
मैं हूँ वो सारथी
जिसके साथ हर कोई चलना चाहते हैं !
मैं हूँ वो आवाज़
जिसे हर कोई सुनना चाहते हैं !
मैं हूँ वो कदम
जिसके साथ हर कोई मिलकर रहना चाहते हैं !
मैं हूँ वो हवा
जिसके साथ हर कोई हर जगह रहना चाहते हैं !
लेकिन अब मैं वो हूँ
जिसे न कोई जानता है
न कोई पहचानता है
अब न मेरी कोई पहचान है
न कोई साथी है और न कोई सारथी है !
न ही ऐसी आवाज़ है
और कदम भी हवा में लड़खड़ा रहे हैं
की पता ही नहीं चल रहा
मैं कहाँ जाऊँ और कहाँ नहीं जाऊँ ?

कोई टिप्पणी नहीं: