रविवार, 11 अगस्त 2019

नया सफर, नया है डर

आज हमारी दुआ दिल से कुबूल हुई
जो चाहा था खुदा से, वो खुशी मिली ।
अब मुझे जानने चार यार मिले
पूछते हैं हमेशा, कैसी चल रही जिंदगी ।

मैं सवार हुआ उस कश्ती में
जो मेरे लिए थी बिल्कुल नई ।
जो जान चुके थे, परख चुके थे
वो संभाल रहे थे किसी दूसरे छोर से ही ।

मैं ठहरा बेचारा, चल दिया जैसे आवारा
वो कहते रहे, मैं सोचता रहा
क्या डूब जाएगी कश्ती रास्ते में ही ?

पर हौसला बढ़ा, दिल में फैसला हुआ
मैं आगे चला, मन में सोचता चला
अब मुझे रुकना नहीं
चाहे रुकावटें मिले कैसी भी ।

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