गुरुवार, 8 सितंबर 2016

विचलित मन

नई नवेली दुल्हन
अंदर में चुपचाप बैठी है |
कहने को बहुत सारी बातें
लेकिन दिल से घबरा रही है |
इंतजार है उसे किसी खास का
जो उसका साथ दे सके |
जब मिला उसे चाहने वाला
तो वो होश खो बैठी |
इस शहर में नई नवेली
ना कुछ जानती, ना कुछ पहचानती |
कोई आ जाए उससे मिलने
तो बस शर्माती, हिचकिचाती |
जब हम गए उससे मिलने
तो वो डर गई, सहम गई
फिर ना रूकी, रोते रही |
हमने पूछा - - कहो, क्या हुआ?
वो गले मिली, घबराई हुई
हमसे बोली - - मेरे साथ रहो, कहीं मत जाओ |
उसे संभाला, उसे प्यार दिया
विश्वास दिलाया, फिर उसने मुस्कुरा दिया |

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