बुधवार, 14 सितंबर 2016

एक सवाल ... सिर्फ तुमसे

सवाल करूँ या राय जानूँ?
ये कैसा हृदय है तेरा
तुम इंसान हो या हैवान
जिसे तुम मिटा रहे हो
वही तुम्हारी जननी है |
क्या तुमने कभी सोचा है
अगर ये ना रही
तो तुम कैसे रहोगे?
जिसकी तुम पूजा करते हो
जिसे तुम माँ मानते हो
उसी को समाप्त कर रहे हो |
मेरा हृदय काँप उठता है
जब तुम्हारा ये रूप देखता हूँ
क्या तुम्हें जरा भी दया नहीं आती?
क्या तुझमें इंसानियत नहीं बची?
मैं ये पूछना चाहता हूँ
तुम्हारे मन में ये प्रतिसोध कहाँ से आया
ये सवाल सिर्फ इसलिए
क्योंकि तुझे नींद से जगाना है
और तुम्हारे मन में सकारात्मक सोच लाना है |

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