सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

टूटी सड़क......(अर्धसत्य)

तुझमे और मुझमे बहुत फर्क है यारा
तू दिल के लिए खुश है
और मैं दिल से बहुत खुश हूँ
तुझे अपनों के साथ प्यार मिला
और मुझे गैरो ने हंसा दिया
रूठे यार को मनाना मुझे आता नहीं
और यार रूठ जाये तो मैं रह सकता नहीं
मेरे विचार कैसे बदल गए
ये मैं भी नहीं समझ पाया
जब ढूँढना चाहा खुद को
तो आईने में तड़पता चेहरा नज़र आया
ज़िंदगी में खुशी और हंसी सभी को चाहिए
तूने खुद को खुशी के माहौल में ढाले रखा
और मैं बेचैनी से खुशी तलाशता रहा
तू ज़िंदगी को करीब से जान रहा
पर मैं ज़िंदगी को करीब आने से रोक रहा
हर दिन हर पल यही सोचता हूँ
की जब कोई खुशी से मेरे साथ होगी
तो क्या मैं संयम के साथ रह पाऊँगा
पर एक ऐसा शख्स भी मुझे मिला
जिसने मुझे वो सब कुछ फिर से सिखाया
जो मैं हर समय से चाहता था
उसने मुझे जीना सिखाया
जीने के साथ हँसना सिखाया
और मुझसे बोला
अब खुद को कभी अंधेरे मे मत रखना
मैं तुम्हारे साथ हूँ
मैं तुम्हें प्यार दूँगा
मैं तुम्हारा सच्चा यार बनूँगा
पर तुम कभी आँसू मत बहाना
पर कभी-कभी ऐसा सोचता हूँ
क्या सच में ऐसा है ?
क्या सच में ऐसा होगा ?
लेकिन जब बीते हुए,
दर्द भरे लम्हे याद आते हैं
तो अचानक ऐसा ख्याल आ जाता है
जब मेरा दिल किसी के काबिल नहीं
जब मेरी हंसी किसी की खुशी नहीं
तो किसी के साथ मेरा जुड़े रहना जायज़ नहीं

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