ऐ खुदा कभी तू प्यार की सजा
भी जड़ देना !
तख्ते पे मौत को आखिरी सजा
बता देना !
मोहब्बत करना अगर गुनाह है,
तो इस गुनाह को किसी की
ज़िंदगी ना बनने देना !
हमने ज़िंदगी में बहुत सजा
पाया है !
ज़िंदगी को चढ़ते-उतरते देखा है
!
पराए अक्सर अपने हो जाते हैं,
पर अपनों को ही दूर जाते देखा
है !
मुसकुराते हुए हर पल को जीना
चाहता हूँ !
हर पल को एक नया सहारा देना
चाहता हूँ !
पहला पल अगर आखिरी है,
तो इस आखिरी पल को नया नज़ारा
देना चाहता हूँ !
मुझे मौत से डर लगता है ऐ
खुदा
तू मेरे ज़िंदगी को किसी के
नाम कर दे !
साथ रहेगा वो तो डर नहीं
रहेगा खोने का
मेरी हर खुशी और ग़म उसके नाम
कर दे !
लफ्जों में क्यों हिचकिचाहट
है मेरे
नैन में क्यों भर आए आँसू !
बेचैन जिन्हें सोचकर हो रहा
हूँ
क्या उनका भी खो गया चैन और
सुकून !
क्यूँ दूरियाँ में कोई मुझसे
अच्छा महसूस करता है
क्यूँ अपनापन या प्यार मुझसे
अलग रखता है !
ज़िंदगी में अच्छाई अगर गुनाह
है
तो ऐ खुदा ऐसी ज़िंदगी से बहुत
डर लगता है !
ज़िंदगी अकेले जीना चाहता हूँ
अपनों और प्यार से दूर रहना
है अब मुझे !
सजा तू जो देगा वो मंजूर होगा
सजा तू जो देगा वो मंजूर होगा
इस ख्वाब के सफर में आखिरी
रास्ते हैं मेरे !
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