सोमवार, 24 अगस्त 2015

सबसे बड़ी भूल

उस वक़्त तुम छोटी थी
पर तब भी सबसे प्यारी थी
लेकिन तब भी मेरे ज़हन में थी
दिल तो तब भी करता था
तुमसे किसी तरह मुलाकात करूँ
लेकिन मैं लाचार था
एक ऐसा यार था
बात संयोग से कभी होती थी
पर मैं कुछ कर नहीं सकता था
मैंने बहुत सारा उपाय सोचा
कितनी कोशिश की मिलने की
अंतिम क्षण में
निराश होकर बैठ गया
जब सबने पूछा
क्या हुआ, कुछ बोलते क्यों नहीं
फिर मैंने सोच के
कुछ भूले हुये दोस्तों,
कुछ गुजरे हुये लम्हों को याद कर रहा हूँ
लेकिन फिर जब
अंतिम वर्ष तुमसे फिर मुलाकात हुई
तो ऐसा लगा
जैसे गुज़रा हुआ पल
फिर से लौट आया है
बीते हुये लम्हों को साथ लाया है
जिसमे कुछ खुशी,
और कुछ ग़म समाया है
कुछ महीने बीत गए
जब तुमसे बात नहीं हुई
लेकिन इन महीनो में
कुछ ऐसे साथी मिले
जिनके साथ में रहकर
ये सोच लिया
भ्रम के कारण उनसे
मोहब्बत हो गयी
एक ऐसी चाहत हो गयी
जो मैं कभी भूलना नहीं चाहता
लेकिन मैं ये सब
बुरे सपने की तरह अब
भूल चुका हूँ
तुमने आ कर मुझे
इस तरह समझा दिया
प्यार करने का
मतलब बता दिया
की अब मुझे हर पल
ऐसा लगता है
की मैं तुम्हारे बिना
नहीं रह सकता
मुझसे एक भी पल बिताना
अब मुश्किल है लगता
लेकिन इन सबके बीच
एक ऐसी भूल हो गयी
जिसे मैं अब कभी भी
नहीं करना चाहता
मैंने वो गलती कर दी
जिसके कारण हर वक़्त
मन में इस बात का डर रहता है
की कहीं मैं खो ना दूँ
पर समय ने मुझसे ये कहा
ठहर जाओ, ज्यादा चिंता मत करो
सब ठीक हो जाएगा
क्योंकि सब्र का परिणाम
हमेशा अच्छा ही होता है !!

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