है क्या कमी मुझमें
ज़रा ये तो बता दो
जानता हूँ तुम्हें प्यार नहीं
है
पर नफरत ही जता दो
चाहते तो सभी हैं
पर कोई दिल से नहीं चाहता
कहते ये सभी हैं
पर उसके मन को मैं भी हूँ जानता
मैंने तुझसे दोस्ती की
सच्चे दिल से निभाने की कोशिश
की
पर तुम्हें ये रास नहीं आया
मैंने तुम्हें आज तक ये नहीं
बताया
की मेरे दिल में क्या बात है
और तुमने ये भी जताने नहीं दिया
जब तुम्हें जाना था
उस पल मेरे दिल में खुशी का
कैसा आलम था
ये मैंने आज तक ज़ाहिर नहीं किया
एक सच्चे दोस्त की तरह
तुझसे रिश्ता निभाने की तमन्ना
थी
तुझसे एक ऐसी चाहत थी
जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं
कर सकता
मैं ही अनचाहे में तुझे
अपना प्यार समझ लिया था
अपनी खुशी का चाहत का मान लिया
था
तुमने जब मुझसे ये बोला था
मेरा और तुम्हारा साथ हमेशा
रहेगा
तब ना जाने क्यूँ
ये लगने लगा था
की कोई अपना मिल गया
एक अजीब-सा विचार मन में आने
लगा था
पर मैं अब समझ गया हूँ
जो मेरा नहीं है
उसे मैं पाने की कोशिश बिलकुल
नहीं करूंगा
लेकिन अब मुझे मिल गया है
एक ऐसा कोई अपना-सा
जो अपनों से भी ज़्यादा प्यार
देता है
मुझे उससे बात करके
इस तरह खुशी इस तरह मिलती है
जैसे किसी को खोये हुए से
अचानक मुलाकात हो जाती है
अचानक मुलाकात हो जाती है
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