गुरुवार, 13 अगस्त 2015

कमजोर हुआ किरदार

है क्या कमी मुझमें
ज़रा ये तो बता दो
जानता हूँ तुम्हें प्यार नहीं है
पर नफरत ही जता दो
चाहते तो सभी हैं
पर कोई दिल से नहीं चाहता
कहते ये सभी हैं
पर उसके मन को मैं भी हूँ जानता
मैंने तुझसे दोस्ती की
सच्चे दिल से निभाने की कोशिश की
पर तुम्हें ये रास नहीं आया
मैंने तुम्हें आज तक ये नहीं बताया
की मेरे दिल में क्या बात है
और तुमने ये भी जताने नहीं दिया
जब तुम्हें जाना था
उस पल मेरे दिल में खुशी का कैसा आलम था
ये मैंने आज तक ज़ाहिर नहीं किया
एक सच्चे दोस्त की तरह
तुझसे रिश्ता निभाने की तमन्ना थी
तुझसे एक ऐसी चाहत थी
जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता
मैं ही अनचाहे में तुझे
अपना प्यार समझ लिया था
अपनी खुशी का चाहत का मान लिया था
तुमने जब मुझसे ये बोला था
मेरा और तुम्हारा साथ हमेशा रहेगा
तब ना जाने क्यूँ
ये लगने लगा था
की कोई अपना मिल गया
एक अजीब-सा विचार मन में आने लगा था
पर मैं अब समझ गया हूँ
जो मेरा नहीं है
उसे मैं पाने की कोशिश बिलकुल नहीं करूंगा
लेकिन अब मुझे मिल गया है
एक ऐसा कोई अपना-सा
जो अपनों से भी ज़्यादा प्यार देता है
मुझे उससे बात करके
इस तरह खुशी इस तरह मिलती है
जैसे किसी को खोये हुए से
अचानक मुलाकात हो जाती है

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