शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

आज की नारी

बेटी आज की गाय नहीं
जिसे खूंटे में बाँध दो
और चरने को थोड़ी-सी घास डाल दो!
वह आज की नारी है
उसकी प्रगति ज़ारी है!
आज...
न वह
जलती हुई
मोमबत्ती है
और न
पिघलता हुआ मोम,
आज की नारी
उन्नति की ऐसी शिला है
जिसके सहयोग से
समाज का नया रूप खिला है!

3 टिप्‍पणियां:

राजकुमार ग्वालानी ने कहा…

हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई

DIMPLE SHARMA ने कहा…

बहुत अच्छा पोस्ट , आपको दीपावली की शुभकामनाये....
sparkindians.blogspot.com

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

bilkul sahi baat hai.. word verification hataayen