शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

हमारा खुदा

हर तरफ
सबसे आगे आने की
दौड़ चल रही थी!
मैं उसमे सबसे
पीछे चल रहा था!
हर बात में ले लिया
करता था
खुदा का इज़ाज़त!
आज खुदा भी
हमसे दूर हो गया था!
प्यार से बुलाया था
जिसे मैंने
आज वो भी मेरा
कोई न रहा!
आज मैं सबसे अलग
रहना चाहता हूँ
तो बुलावा आया आपका!

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.