बुधवार, 2 मई 2012

बिछड़ गए

शाम ढलती नजर आ रही है!
रात कैसे बिताएंगे!
दिन तो कट जाता मगर 
दिल को कैसे बतलायेंगे!

खुद तो मज़े में जी रहे हैं 
लेकिन उन्हें कैसे भूलाएँगे!
वो सामने नहीं लेकिन 
उन्हें याद हम जरूर आयेंगे!

गम में उनके जीए जा रहे थे 
ख़ुशी उनकी कैसे मनाएंगे!
उनका साया मुझसे दूर लेकिन 
उनकी याद को कैसे दूर भगायेंगे!

वो तद्पाते थे हमे ज्यादा 
वो हमें कैसे भूल पाएंगे!
भूल गए हमें लेकिन
हमसे दूर नहीं जा पाएंगे!

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