शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

कुछ तो बता

लहरों की छाया है ये
तूफानी रात है!
कैसे-कैसे मिलते हैं
ना बनती कोई बात है!

कैसे ढूंढूं उसे मैं
कहाँ वो खो गयी!
क्यों नहीं मिलती मुझे
किसकी वो हो गयी!

कहना ये बस ये तुझे
बतला दे ये तू मुझे!
चाहती हो क्या मुझे
खोना नहीं चाहता तुझे!  

1 टिप्पणी:

knkayastha ने कहा…

अच्छी कविता है... लिखा अच्छे तरीके से है... पर देखता हूँ की कममेंट्स कम आते हैं... क्यूंकी तुम किसी को कोममेंट्स नहीं करते, न फेसबूक पर न ब्लॉग पर...
गुमनाम ब्लॉगर मत बनो....