शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

परछाईयाँ तेरी......कहाँ खो गई

क्या है प्यार, जो हम न कर सके
तेरे लिए ना जी पाए, और ना मर कर सके!
खुद में डूबे इस तरह, की तुझे ना समझ सके
तेरे लिए ना जी पाए, और ना मर सके!

जानना चाहता था तुझे मैं,बहुत अच्छी तरह
लेकिन ये हो ना सका!
देने चला था प्यार मैं, तुझे खूब सारा
लेकिन ये हो ना सका!

खुद में डूब गए, तुझे ना देख सके!
तेरे लिए  ना जी पाए, और ना मर सके!

तेरे एक प्यार के लिए, तरस गया था मैं!
तुझे जानना चाहता था, मैं करीब से
लेकिन बहुत दूर चला हो गया था मैं!

जो कभी हम ना सोच पाए, वो अब हैं हम आर रहे!
तेरे लिए ना जी पाए, और ना मर सके!