मंगलवार, 21 सितंबर 2010

ज़िन्दगी (एक सफ़र)

हर पल जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
हर कदम जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
वो पल बीत गया
जब खुश हुआ था मैं!
वो दूर हो गया
हर वक़्त जिसके पास
रहता था मैं!
काश! खुशनुमा होती मेरी ज़िन्दगी
ये अब कहता हूँ मैं!

1 टिप्पणी:

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

डियर विवेक,
डोंट वरी! बी हैप्पी!
आशीष
--
बैचलर पोहा!!!