रविवार, 26 सितंबर 2010

वक़्त

ये वक़्त कैसा है, जिसने किसी को नहीं बक्सा!
ये वक़्त ऐसा है, जिसने मुझे भी नहीं छोड़ा!

वक़्त की जितनी तकल्लुफ कीजिये, उतना ही नुकसान होता है!
ये वक़्त अगर आगे निकल जाए, तो पीछे कभी नहीं लौटता है!

वक़्त की खूबसूरती पर आप नहीं जाइये!
ये अन्दर से कुछ और, और बाहर से कुछ और दिखता है! 

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

ज़िन्दगी (एक सफ़र)

हर पल जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
हर कदम जो मुस्कुराती थी मेरी ज़िन्दगी!
वो पल बीत गया
जब खुश हुआ था मैं!
वो दूर हो गया
हर वक़्त जिसके पास
रहता था मैं!
काश! खुशनुमा होती मेरी ज़िन्दगी
ये अब कहता हूँ मैं!