शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

कुछ नए पल

एक नया एहसास लेकर
मैं निकला हूँ
नए जीवन जीने की
छोर पकरने !
एक नई खुशी लेकर
मैं निकला हूँ
अपनी उदासी को
अलविदा कहने !
कुछ नए पल
जीने को मिले
ये सोचकर निकला हूँ
अपनी मंजिल ढूँढने !

दिल की उदासी दूर हो !
दिल को खुशी हो !
दिल में नया एहसास जगे !
दिल की प्यास बुझे !
ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी खुशी ढूँढने !

1 टिप्पणी:

Neeraj Kumar ने कहा…

विवेक,
कविता का भाव अच्छा है लेकिन पंक्तियों को सही से सजाओ...जैसे...
"एक नया एहसास लेकर
मैं निकला हूँ
नए जीवन जीने की
छोर पकरने !"
को यूँ लिखो---
"एक नया एहसास लेकर
नए जीवन जीने की
मैं निकला हूँ
छोर पकरने!"