मंजिल-मंजिल सोच रहा था!
कदम-कदम पर खोज रहा था!
नहीं मिला तो मैं आज तक
तरप-तरप कर मर रहा था!
पूछता था हर कोई
क्या हुआ है, बता तू?
उनसे डर कर, सोच-सोच कर
मैं ये दिल से पूछ रहा था!
नसीब में मेरे क्या लिखा था
ये मैं नहीं जानता था!
आगे क्या होगा मेरा
ये मैं नहीं जानता था!
पूछ लो दिल से
ये दिल कह रहा है!
खुश हो जाओ दिल से
ये दिल कह रहा है!
शनिवार, 15 अगस्त 2009
शुक्रवार, 24 जुलाई 2009
कुछ नए पल
एक नया एहसास लेकर
मैं निकला हूँ
नए जीवन जीने की
छोर पकरने !
एक नई खुशी लेकर
मैं निकला हूँ
अपनी उदासी को
अलविदा कहने !
कुछ नए पल
जीने को मिले
ये सोचकर निकला हूँ
अपनी मंजिल ढूँढने !
दिल की उदासी दूर हो !
दिल को खुशी हो !
दिल में नया एहसास जगे !
दिल की प्यास बुझे !
ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी खुशी ढूँढने !
मैं निकला हूँ
नए जीवन जीने की
छोर पकरने !
एक नई खुशी लेकर
मैं निकला हूँ
अपनी उदासी को
अलविदा कहने !
कुछ नए पल
जीने को मिले
ये सोचकर निकला हूँ
अपनी मंजिल ढूँढने !
दिल की उदासी दूर हो !
दिल को खुशी हो !
दिल में नया एहसास जगे !
दिल की प्यास बुझे !
ये सोचकर निकला हूँ
मैं अपनी खुशी ढूँढने !
रविवार, 14 जून 2009
मुझे मिला सहारा
मैं
खोज रहा था
एक ऐसे
मुसाफिर को
जो
दे सके
मुझे सहारा!
भटक
गया था
मैं
अपनी राह में
कोई
न था
अब हमारा!
मुझे
इंतजार था
पल का
जिसमें मुझे
मिल सके
खुशी!
और मेरे
सोचने से पहले
वो पल
आ गया
और मैं
खुश हो गया!
दोस्त
बनकर आया
एक ऐसा मुसाफिर,
मुझे मिला सहारा
उससे
और अब
मैं खुश रहता हूँ
रात-दिन!
खोज रहा था
एक ऐसे
मुसाफिर को
जो
दे सके
मुझे सहारा!
भटक
गया था
मैं
अपनी राह में
कोई
न था
अब हमारा!
मुझे
इंतजार था
पल का
जिसमें मुझे
मिल सके
खुशी!
और मेरे
सोचने से पहले
वो पल
आ गया
और मैं
खुश हो गया!
दोस्त
बनकर आया
एक ऐसा मुसाफिर,
मुझे मिला सहारा
उससे
और अब
मैं खुश रहता हूँ
रात-दिन!
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