तुझे
देखा उन लिबासों में
जिन्हें
हम पहनना पसंद नहीं करते !
फिर
भी न चाहते हुए भी
हर
रोज़ हम इंतज़ार किया करते !
तस्वीरों
में तुझे ढाल लिया
अब
दिल में हैं उतारना चाहते !
जब-जब
तुझे नज़रों के सामने पाया
ऐसा
लगा तुम्हें मैंने दिल में है बसाया
अब
हर रोज़ तुम्हें देखना चाहते !
अब
हर रोज़ तुझे सोचना चाहते !
बचपन
से तुझे जानता हूँ
तेरे
रग-रग से वाकिफ़ हूँ
कुछ
वर्ष तुझसे दूर क्या हो गया !
तुमने
हमें इस तरह भूला दिया
जैसे
मैं एक अजनबी हो गया !
सच
ही कहा है किसी शायर ने à
“मोहब्बत न करना ज़िंदगी में !
बहुत
ग़म भरे हैं इस दिल्लगी में !”
लेकिन
अब ऐसा लगता है
दोस्ती
तभी तक निभाओ
जब
तक दोस्त तुम्हारा साथ दे !
खुद
में इतना मत खो जाओ
की
सामने कुछ दिखाई ही न दे !
बड़े
विद्वान ये कहा करते थे à
प्रेम
मन से होता है,
प्रेम
नज़रों से होता है,
प्रेम
दिल से होता है !
लेकिन
अब ऐसा लगता है की
बीते
समय की बात हो गयी
यादों
की बारात हो गयी !
नजरे
इंतज़ार किया करती थी
अब
ये भी पुरानी बात हो गयी !