वो लम्हें जो साथ बिताए
वो बातें जो साथ हुई
वो मुलाकातें जो हमने की
क्या तुम्हें कुबूल है?
वो हंसी ठहाके जो संग लगाए
वो हर पल जो खुशी से बीते
वो अपनी जो एक अच्छी यारी हुई
क्या तुम्हें कुबूल है?
वो वादे जो एक दूसरे से हमने लिए
वो कसमें जो साथ मिलकर खाई
वो नए रिश्ते जो हमारे बने
क्या तुम्हें कुबूल है?
वो रूठना मनाना जो हमने किया
वो दूर होकर पास आना जो हमेशा होते रहा
वो हर मुलाकात जो प्यारा बना
क्या तुम्हें कुबूल है?